श्रतु चक्र क्या है? गर्भ निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन

मादा ऋतु चक्र (Oestrus cycle)- उच्च प्रायमेट स्तनधारियों (मनुष्य,चिम्पांजी, ओरंग उटान तथा बन्दर) को छोड़कर अन्य स्तनधारियों में मासिक चक्र नहीं होता है। मादा एक निश्चित समय पर स्वतः अण्डोत्सर्ग करती है तथा नर से मैथुन करती है। इस अवस्था को (Oestrus) ओइस्ट्रस अवस्था या उत्तेजना की अवस्था (Heat stage) कहते हैं। उत्तेजना की अवस्था में मादा कुछ स्रावण निकालती है जो कि नर के लिये उत्तेजक होते हैं तथा नर मादा से संभोग करने के लिये प्रेरित होता है। कुछ जन्तुओं में विशेषकर चूहों तथा खरहे में अण्डोत्सर्ग की क्रिया उस समय तक रुकी रहती है जब तक उत्तेजक अवस्था के बाद नर तथा में मैथुन की क्रिया नहीं हो जाती है। मनुष्य तथा चूहे वर्ष में कभी भी मैथुन क्रिया कर सकते है क्योंकि उनका लैगिंग चक्र एक निश्चित समय अवधि का होता है जबकि कुत्ता, बिल्ली तथा कुछ अन्य स्तनधारी (घोड़ा) एक निश्चित ऋतु में उत्तेजक अवस्था में आते हैं। इसलिये इनमें इस अवस्था को ऋतु चक्र भी कहते

कुछ जन्तुओं में पूरे जनन काल में केवल एक चक्र होता है उनके एक ऋतु चक्रीय या ‘मोनो जन्तु कहा जाता है। उदाहरण के लिये घोड़ा एक ऋतुचक्रीय जन्तु है। दूसरी ओर कुछ जन्तुओं में गिनीपिग) एक प्रजनन काल में कई ऋतु चक्र होते हैं। इनको ‘बहु ऋतु-चक्रीय’ या ‘पॉलीओइस्ट्रस’ कहते हैं।

गर्भ निर्धारण

प्रोजिस्टिरॉन हामोन का कार्य यूटेरस की एपीथीलियम को अण्डोत्सर्ग के बाद, फैलोपियन नलिका में निषेचित अण्डाणु को (जाइगोट को) ग्रहण करने के लिये तैयार करना है। इसे एण्डोमीट्रियम का विकसित होना (Proliferation of Endometerium) कहा जाता है। यदि अण्डाणु निषेचित हो जाता है (स्तनधारियों में अण्डाणु केवल फैलोपियन नलिका में ही निषेचित होता है, अन्य किसी स्थान पर नहीं) तो वह एण्डोमीट्रियम में स्थापित होकर गर्भ प्रारम्भ करता है। गर्भधारण हो जाने पर अण्डाशय का कॉरपस ल्यूटियम बना रहता है जिससे संपूर्ण गर्भकाल में रक्त में प्रोजिसटरोन की सान्द्रता अधिक रहती है। यह हार्मोन गर्भ को बनाये रखने के लिये आवश्यक होता है।

यदि गर्भधारण नहीं होता है तो अण्डाशय का कॉरपस ल्यूटियम समाप्त होकर कॉरपस एलबीकेन्स बनाता है तथा उससे प्रोजिस्टिरॉन का स्रावण बन्द हो जाता है और रक्त में इसकी सान्द्रता तेजी से कम हो जाती है तथा पुनः रक्त स्राव प्रारम्भ होकर दूसरा चक्र प्रारम्भ हो जाता है। गर्भधारण (Event of Pregnancy)

जैसा कि ऊपर बताया गया है, यदि अण्डाणु फैलोपियन नलिका में निषेचित हो जाता है और यूटेरस में आकर-स्थापित हो जाता है तो उस अवस्था को गर्भधारण की अवस्था कहते हैं। इस अवस्था में कार्पस ल्यूटियम से प्रोजिस्टिरॉन का स्रावन सतत् रूप से होता रहता है। इस समय अण्डाशय से एस्ट्रोजिन का स्रावण एक सीमित मात्रा में होता है जिससे गर्भ को बनाये रखने में सहायता मिलती है।

मासिक धर्म या पीरियड

हेलो दोस्तों आज हम आपको पीरियड के बारे में
विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं जिसे हम हिंदी में मासिक धर्म चक्र भी कहते हैं। अब पीरियड को जानते हैं बहुत ही सिंपल तरीका से पीरियड होते क्या है।� पीरियड एक प्राकृतिक तरीका है जो केवल लड़कियों एवं महिलाओं में होती है यह केवल महिलाओं और लड़कियों को स्टार्ट होते है। पीरियड का समय सामान्यतः 7 दिन का होता है लेकिन कुछ महिलाओं में पीरियड 15 से 20 दिन के लिए आते हो तो बिना संकोच किए तुरंत गायनोलॉजिस्ट किसी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के लक्षण आने से शरीर में कुछ कारण होने के कारण ही इस प्रकार के लक्षण आते हैं या फिर जो पीरियड का समय होता है वह इतना ज्यादा बढ़ जाता है।

मासिक धर्म या पीरियड का समय

यह हर महीने पीरियड होते हैं और जब लड़कियां महिलाएं बन जाते हैं और महिलाओं की आयु 40 से 45 वर्ष हो जाती है तो ये पीरियड अपने आप बंद हो जाते है। साधारण रूप से कहें तो लड़कियाें मे पीरियड 14 से 15 वर्ष उम्र में स्टार्ट हो जाते हैं और हर महीने पीरियड आते हैं जोकि महीने में 3 से 7 दिन का पीरियड का समय होता है। सनसनी जानते हैं जैसे बताया यह दूरी होती है जब किसी लड़की को पीरियड आना होता है तो हर महीने एक ओवरी में से एक ओव्यूल निकलता है। अगर इस महीने दाएं ओवरी मे से एक ओव्यूल निकलता है तो वही दूसरे महीने बाये ओवरी मे से एक ओव्यूल बाहर निकलेगा। अगर आपको इस महीने पीरियड 20 को आए तो अगले महीने ही है पीरियड 20 तारीख के आसपास ही आएंगे या हो सकता है 18 या 19 को आए या हो सकता है 21 या 22 को आये लेकिन ज्यादा अंदर नहीं हो सकता। ज्यादातर लड़कियों को पीरियड का समय पर नहीं आते है थोड़ा आगे पीछे हो जाता है। पीरियड लड़कियों को 7 दिन ही चलते हैं बाक़ी समय लड़कियों को पीरियड नहीं आता। फिर अगले महीने आता है। इस तरह से हर महीने चलता रहता है।

मासिक धर्म या पीरियड के समय समास्याएं

  1. लड़कियों को पीरियड के साथ लड़कियों को साधारण बुखार और पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। 2. यह दर्द पूरे 7 दिन चलता है यह दर्द केवल पहले दिन कुछ घंटों के लिए होता है जैसे 4 घंटे 5 घंटे या 8 घंटे तक हो सकता है
  2. पीरियड के समय लड़कियों या महिलाओं को थोड़ा सा दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता क्योंकि उनका दिमाग ज्यादातर दर्द पर लगा होता है।
  3. पीरियड के समय हाथ पैरों में साधारण सा दर्द बना रहता हैं।
  4. पीरियड के समय जो उनके हार्मोन होते हैं हार्मोन में काफी बदलाव आने लगते हैं कुछ हार्मोन बहुत ज्यादा हाई हो जाते हैं जिससे उनको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। जैसे ही पीरियड स्टार्ट होते हैं जो ओवम होता है वह फेलोपियन ट्यूब में आ जाता हैं।
    फर्टिलाइज होने ओम भी कहा जाता है ओवम का निर्माण ओवरी में होता है ओवम के निर्माण होने में 1 सप्ताह का समय लगता हैं। मासिक धर्म को ऋतु स्त्राव भी कहते है।

FAQ –

नर जननांगों के कार्य बताइये।
वृषण के हार्मोनल नियंत्रण के बारे में बताइये।
नर जननांगों की कार्यिकी बताइये।
अण्डाशय की उत्तकीय संरचना तथा उससे स्रावित होने वाले हार्मोन बताइये।
मादा जननांगों का हार्मोन नियंत्रण बताइये।
मासिक चक्र क्रिया को हार्मोन कैसे नियंत्रित करते हैं? बताइये।
ऋतु चक्र क्या है एक ऋतु चक्रीय तथा बहुऋतु चक्रीय क्रियाओं को समझाइये
अण्डोत्सर्क की हार्मोन क्रिया समझाइये।

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