Puberty क्या है? व्य: सन्धिकाल , मासिक चक्र समझाइए

व्यः सन्धिकाल या प्यूबरटी (Puberty)

सभी स्तनधारियों में बच्चे के जन्म के साथ ही जननांग विशेषकर वृषण तथा अण्डाशय शिथिल अर्थात् अक्रियाशील स्थिति में आ जाते हैं। नर भ्रूण में वृषण टेस्टोस्टिरॉन हार्मोन का स्रावण करते हैं परन्तु बच्चे के जन्म के बाद लैडिंग कोशिकायें शिथिल हो जाती है। ये अंग तभी पुनः क्रियाशील होते हैं। जबकि पीयूष ग्रन्थि के अग्र भाग से निकलने वाले गोनेडो ट्रोपिन्स (विशेषकर FSH हार्मोन) स्रावित होकर इन अंगों को क्रियाशील करता है तथा उनको परिपक्व करता है। इस समय को किशोरावस्था कहते हैं।परन्तु वयः संधिकाल या प्यूबरटी वह स्थिति है जब कि अंतः स्रावी ग्रन्थियों के हार्मोन के प्रभाव से जननांग उस अवस्था में पहुँचते ह जां प्रजनन सम्भव है। ‘मेनारकी’ (Menarche) उस अवस्था को कहते हैं जब मादा में प्रथम मासिक चक्र प्रारम्भ होता है। यह अवस्था यूरोप में लड़कियों में 8 से 13 वर्ष की तथा भारत में 12-14 वर्ष की है।

नर या लड़कों में यह वह अवस्था होती है जिसमें एडरीनल एण्ड्रोजन स्रावित होना प्रारम्भ होता है जिसके प्रभाव से शुक्राणु जनन की क्रिया में तेजी आती है, द्वितीय लैंगिक गुणों का विकास होता है। तकनीकी रूप से यह अवस्था ‘एड्रीनारकी’ (Adrenarche) कहीं जाती है।

बच्चों के जननांगों को गोनेडो ट्रोपिन्स तथा LHRH (लयूटिनाइजिंग हार्मोन रिलीजिंग हार्मोन) के द्वारा उत्तेजित किया जा सकता है। इसमें LHRH हाइपोथैलेमस से आने वाला कारक है। इस कारक की कमी बच्चों के जन्म से लेकर प्यूबरटी के काल तक जननांगों की अक्रियाशील रखती है। जब यह कारक स्रावित होता है तब प्यूबरटी अवस्था समाप्त हो जाती है।

Puberty क्या है?

दोस्तों आज मैं आपको लड़कों एवं लड़कियों में  यौवनारंभ के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने जा रहा हूं यौवनारंभ क्या होता है यौवनारंभ को प्यूबर्टी भी कहा जाता है। यौवनारंभ होते ही लैंगिक हार्मोन में द्वितीयक लैंगिक लक्षण का विकास होने लगता है।  यौवनारंभ जनन अंगों की क्रियाशील होने का समय होता है।

यौवनारंभ मनुष्य में होने वाला ऐसा परिवर्तन जिससे नर में तो शुक्राणु और मादा में अंडाणु का निर्माण होने लगता है। तथा नर और मादा संतान की उत्पत्ति करने योग्य हो जाते हैं । अर्थात उनके घर में संतान उत्पन्न हो सकती है इसी को ही हम यौवनारंभ कहते हैं।

लड़कों में यौवनारंभ 12 से 16 वर्ष की आयु में पुरूषों में जनन परिपक्वता आ जाती है  । जनन परिपक्वता मतलब  संतान पैदा करने योग्य हो जाती है। इसे ही पुरुषों में यौवनारंभ कहते हैं।

यौवनारंभ के लक्षण

लड़कों में यौवनारंभ होते समय लक्षण  आने लगते  हैं। जो इस प्रकार दिए हुए हैं।
🌑  लड़कों का शरीर सुडौल हो जाता है ।
🌑  मांसपेशियां मजबूत हो जाते हैं ।
🌑  लड़कों में दाढ़ी मूछ आ जाती है ।
🌑 लड़कों की आवाज भारी हो जाते हैं ।
🌑  लड़कों में वीर और शुक्राणु का निर्माण होने लगता है।
🌑 लड़की विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होने लगते हैं ।
🌑    कंधों का चौड़ा हो जाना।
🌑   पुरुषों में शरीर  मुंह तथा बगलों में बाल का होना।

लड़कियों में यौवनारंभ

स्त्रियों या लड़कियों में 10 से 14 वर्ष की आयु में जनन परिपक्वता आ जाती है। यानी स्त्री संतान पैदा करने योग्य हो जाती है । ऐसे ही स्त्री में यौवनारंभ कहते हैं।

यौवनारंभ के लक्षण

लड़कियों में यौवनारंभ होते समय निम्न लक्षण दिखाई पड़ते हैं

🌑  आवाज पतली हो जाती है।
🌑 उनके स्तनों का आकार बढ़ जाता है ।
🌑 ऋतु स्त्राव चक्र उनमें आरंभ हो जाता है।
🌑  अंडाणु का निर्माण होने लगता है ।
🌑   बगल व जनन क्षेत्रों मे बाल आने लगते है।
🌑     जाघो का आकार चौड़ा तथा कूलो का भारी होना

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