More about winding in electrician.?

There are mainly two types of electric machines – D.C. and A.C. In both types of machines, one part is kept stationary and the other part is mobile. The part of the machine in which the V.V.B. What is imparted or produced is called its main part. DC. The main part of the machine is the armature. Vivab by the generator is obtained from the armature itself and the DC The armature in the motor itself is mainly referred to as V.V.B. is provided. AC The main part of the machine is the ‘stator’ and the voltage generated by the alternator is obtained from the stator itself and the AC. The stator itself in the motor is mainly is provided. Hence, in ‘armature’ or ‘stator’, viva. To generate, coils are installed. Thus the installation of coils is very important and the work to be done in a specific order. Installing the conductors (coils) in the grooves of the amateur / stator core in a systematic manner and connecting them in a specific order is called amateur winding or winding.

वाइंडिंग

हेलो दोस्तों अपने वाइंडिंग के बारे में जरूर कहीं ना कहीं सुना होगा। बाइंडिंग कई प्रकार की होती है। इसमें जैसे की मोटर की वाइंडिंग, जनरेटर की वाइंडिंग ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग करने के लिए जो हम वायर उपयोग में लेते हैं उसका हम अलग नाम लेते हैं जिसे मैग्नेट वायर कहते हैं। इसमें जो वायर वाइंडिंग के लिए यूज़ की जाती है उसमें शुद्ध कॉपर की वायर होती है। चाहे हम जनरेटर की बात करें या मोटर की बात करें इसमें हम कभी-कभी एलुमिनियम वायर का भी उपयोग कर लेते हैं।

Winding Kaise Ki Jati Hai ?


एलुमिनियम की वायर भी होती है जो काफी अच्छा कार्य नहीं करता इसलिए अधिकतर हम कॉपर वायर का ही यूज करते हैं। दोस्तो ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग की जाती है। ट्रांसफार्मर जो होता है उसमें कुछ पतले तार होते हैं कुछ मोटे तार होते हैं। ट्रांसफार्मर की तीनों कोर पर सबसे पहले एंटी वाइंडिंग की जाती है। वाइंडिंग करने से पहले हम सबसे पहले 1mm वाली इंसुलिन पेपर को कौर पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद ही एंटी वाइंडिंग की जाती है। एंटी वाइंडिंग के बाद भी इंसुलिन पेपर को कौर पर चढ़ाया जाता है और एंटी वाइंडिंग को अच्छे से कॉटन टेप की सहायता से फिट किया जाता है ताकि यह अच्छी तरीके से फिट रह सके इसके बाद ही इस पर एसटी वाइंडिंग की जाती है।

Transformer Winding

ट्रांसफार्मर में रिवाइंडिंग भी की जा सकती है। दोस्तों मोटर में भी वाइंडिंग की जाती है। आपको मोटर में डैम्पर वाइंडिंग जाती है। सिंक्रोनस मशीन भी एक मोटर का ही प्रकार है। जिसमें वाइंडिंग बहुत अच्छे से की जा सकती है। ट्रांसफार्मर का कोर नरम लोहे का बनाया जाता है। ट्रांसफार्मर की कोर में दो परत की वाइंडिंग की जाती है इस वाइंडिंग कोर को उठाकर टैंक के अंदर डाला जाता है टैंक में खाली जगह नहीं छोड़ी जाती क्योंकि यदि खाली जगह रही तो करंट लगने का डर रहता है इसलिए टैंक की खाली जगह में तेल भर दिया जाता है। इसमें यह तेल नेफ्था तेल होता है दोस्तों मोटर , ट्रांसफर और जनरेटर में रिवाइंडिंग भी की जा सकती है।

वाइंडिंग क्या है

1. वाईडिंग का आसान शब्दों में सरल सा अर्थ होता है किसी भी  चीज को एक क्रम में बनाया जाना।

2. मोटर आदि भरते समय जो तार का यूज  किया जाता है, उसे ही वाइंडिंग प्रक्रिया कहते हैं।

3.वाइंडिंग प्रक्रिया सभी इलेक्ट्रॉनिक चीजों में की जाती है। जैसे मोटर, ट्रांसफॉर्मर ईटीसी।

4. एक केबल के बाद दूसरी केबल को लगाया जाता है इसके लिए आर्मेचर को  घुमाया जाता है।

5. वाइंडिंग उच्च कोटि के उपकरणों के लिए बेहद खास होती है। इसी से उपकरणों का सारा कार्य संपन्न होता है।

6. वाइंडिंग कई प्रकार की होती है। जैसे बंद प्रकार  की वाइंडिंग ,खुले प्रकार की लेप वाइंडिंग इत्यादि।

7. खुली क्वॉल वाइंडिंग  ए .सी .उपकरणों में उपयोग में लाई जाती है।

8. बंद क्वॉल वाइंडिंग को डी. सी. उपकरणों में उपयोग में लाया जाता है। इसी तरह के नियमों को ही वाइंडिंग कहते है।

Leave a Comment