Annealing ( अनीलिंग) क्या है? उद्देश्य विधि एवं प्रकार

सभी धातुओं में कोल्ड वर्किंग (cold working) के कारण या ढलाई के समय तेजी से ठण्डा होने के कारण उनकी आन्तरिक संरचना में विरूपण होता है, जिसके फलस्वरूप उन पर आगे प्रक्रिया करना सम्भव नहीं हो पाता। ऐसी अवस्था में कठोर धातुओं को एक ऐसे तापमान तक गर्म किया जाता है, जो उनके अन्दर आए विरूपण या आन्तरिक प्रतिबल को समाप्त कर सके। इसके पश्चात् धातुओं को साधारणत: धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है। इसी प्रक्रिया को अनीलिंग कहते हैं।

अनीलिंग के उद्देश्य Objectives of Annealing

अनीलिंग करने के निम्न उद्देश्य हैं

धातुओं की कठोरता को कम करना। धातुओं में यान्त्रिक गुणों का विकास करना। धातुओं की आन्तरिक संरचना में आई विकृति को समाप्त करना।
धातुओं के ग्रेन साइज को महीन करना। • मशीनन योग्यता इत्यादि गुणों का विकास करना। • जॉब को अनीलिंग द्वारा पुन: कोल्ड वर्किंग करने योग्य बनाना।
ढलाई के समय अन्दर रह गई गैसों को बाहर निकालना।

अनीलिंग की विधि Process of Annealing


अनीलिंग के लिए हाइपर-यूटेक्टोइड स्टील को ऊपरी क्रान्तिक तापमान से 30-50°C ऊपर तथा हाइपो-यूटेक्टोइड स्टील को निचले क्रान्तिक तापमान से 50°C ऊपर तक गर्म करते हैं,|

उपयोग के आधार पर अनीलिंग प्रक्रिया दो प्रकार की होती है

(i) प्रोसेस अनीलिंग (ii) फुल अनीलिंग

(i) प्रोसेस अनीलिंग (Process annealing) – यह एक सब-क्रिटिकल (sub-critical) अनीलिंग प्रक्रिया है, जिसमें धातु को निम्न क्रान्तिक बिन्दु से भी नीचे तापमान तक गर्म किया जाता है। इसमें धातु का पुन: आंशिक क्रिस्टलन होता है। इस प्रक्रिया को कोल्ड वर्किंग के द्वारा आई कठोरता को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे धातुएँ मुलायम (soft) हो जाती हैं, जिससे उन पर पुन: कोल्ड वर्किंग विधि अपनाई जा सकती है; जैसे-शीट तथा वायर बनाने वाली फैक्ट्रियों में धातुओं को 550°C-650°C तक गर्म किया जाता है तथा कुछ समय इस तापमान पर रखकर हवा में ठण्डा किया जाता है। इससे धातु मुलायम होकर पुन: कोल्ड वर्किंग के लिए तैयार हो जाती है। स्टेनलेस स्टील तथा पीतल को नर्म करने के लिए उन्हें लाल गर्म करके स्थिर हवा में ठण्डा किया जाता है, जबकि एल्युमीनियम तथा कॉपर को नर्म करने के लिए उन्हें गर्म करके पानी में ठण्डा किया जाता है।

(ii) फुल अनीलिंग (Full annealing) – स्टील की पूर्णरूप से अनीलिंग करने के लिए उसे पहले क्रान्तिक सीमा (critical range) तक गर्म करते हैं, जहाँ यह ऑस्टेनाइट अवस्था में आ जाता है। तत्पश्चात् भट्ठी में ही धीरे-धीरे ठण्डा होने के लिए छोड़ देते हैं। यदि भट्ठी को प्रयोग में न लेना हो, तो इसे चूने पाउडर, रेत या राख में दबा देते हैं, जिससे ठण्डा होने की दर बहुत कम रहे। ऐसा करने से स्टील अपना मूल ग्रेन स्ट्रक्चर (grain structure) प्राप्त करता है। 0.83% से कम कार्बन वाले स्टील को 723°C से 910°C तक गर्म किया जाता है, जबकि 0.83% से अधिक कार्बन वाले स्टील को 723°C से 1130°C तक गर्म किया जाता है।

इस तापमान पर स्टील को कुछ होल्डिंग टाइम (holding time) के a लिए रोककर धीरे-धीरे ठण्डा होने के लिए छोड़ दिया जाता है। होल्डिंग समय को 3 मिनट प्रति मिमी मोटाई के अनुसार रखा जाता है। बहुत धीरे ठण्डा होने से ऑस्टेनाइट, मार्टेनसाइट में नहीं बदलता, परन्तु पिअरलाइट, फैराइट तथा सीमेन्टाइट अपनी मूल अवस्था में आ जाते हैं।

Annealing /अनीलिंग क्या है ?

दोस्तों प्रकृति में पाई जाने वाली धातुओं को उनके भौतिक और रासायनिक गुणों में परिवर्तित करने के लिए जिस विधि को अपनाया जाता है उसे अनीलिंग कहा जाता है |

Anneal का अर्थ होता है-” किसी धातु को गर्म करना और फिर धीरे-धीरे ठंडा करना| “

उदाहरण के लिए यदि किसी लोहे की छड़ को उसका आकार बदलने के लिए पहले कुछ तापमान पर गर्म किया जाए और फिर धीरे-धीरे ठंडा किया जाए | यह प्रक्रिया अपनाने से लोहे की छड़ को किसी भी तरीके से मोड़ सकते हैं और सीधा कर सकते हैं |

अनीलिंग प्रक्रिया-

दोस्तों अनीलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी धातु या फिर किसी स्टील को अधिक तापमान पर अथवा उसके उच्च गलनांक पर गर्म करके धातु के आकार में परिवर्तन करने के लिए मेल्टिंग पॉइंट या फिर उससे नीचे तक गर्म करके कुछ समय तक उसी तापमान पर रोक कर जिस तापमान पर गर्म किया है इसके बाद धीरे-धीरे जिस भट्टी में किसी पदार्थ को गर्म किया जाता है उसी भट्टी में ही ठंडा करना होता है इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद किसी धातु के आकार में और उसके गुणों में आसानी के साथ परिवर्तन किया जा सकता है इस प्रक्रिया में धातु को इतना गर्म किया जाता है कि वह तरल रूप में आकार ग्रहण कर लेती है |

अनीलिंग प्रक्रिया को करने से धातुओं के निम्न गुणों में परिवर्तन किया जा सकता है –

इस प्रक्रिया के द्वारा स्टील को अथवा किसी धातु को कोमल या मृदु बनाया जा सकता है |

किसी धातु की मशीन योग्यता में सुधार किया जा सकता है उदाहरण के लिए लोहे की किसी मशीन में किसी पुर्जे के आकार को बदलने के लिए आप इस प्रक्रिया को अपना का उसके आकार में परिवर्तन कर सकते हैं|

धातुओं के बहुत से ऐसे यांत्रिक गुण होते हैं जिनको बदलना कभी-कभी बहुत जरूरी होता है बहुत कम समय में यांत्रिक गुणों को बदलने के लिए आप इस प्रक्रिया को अपनाकर धातुओं के यांत्रिक गुण बदल सकते हैं जैसे किसी धातु की डक्टिलिटी अथवा तन्यता को बदलना है तो आप इस प्रक्रिया को अपना सकते हैं और यदि चीमड़पन मे वृद्धि करना तो आप इस प्रक्रिया को अपनाकर कर सकते हैं |

धातु के आंतरिक गुणों और प्रतिबंधों से मुक्त करने के लिए इस प्रक्रिया को दोहराया जाता है|

जब किसी धातु के भीतर गैस दबी होती है तो उनके गैसों को निकालने के लिए अनीलिंग प्रक्रिया को अपनाकर निकाल सकते हैं |

जब किसी धातु की निश्चित छोटी से छोटी संरचना को बदलना होता है तो आप इस प्रक्रिया के द्वारा आसानी से बदल सकते हैं | जब किसी धातु के चुंबकीय और विद्युत गुणों में परिवर्तन करना हो अथवा सुधार करना हो तो आप अनीलिंग प्रक्रिया के द्वारा कर सकते हैं | कभी-कभी स्टील की बहुत ही ऐसी ऊष्मा का उपचार करना होता है जिसमें स्टील के गुणों में परिवर्तन करना होता है उसके लिए यह प्रक्रिया बहुत ही जबरदस्त होती है|

एनीलिंग

हेलो दोस्तों मैं आज आपको एनीलिंग के बारे में विस्तृत  जानकारी देने जा रहा हूँ ।
धातु विज्ञान और भौतिक विज्ञान में एनीलिंग क्या होता है एनीलिंग एक  गर्मी उपचार है। एनीलिंग को साधारण शब्दों में कहें तो एनीलिंग का आशय होता है कि धातुओं को नरम या मुलायम करना। मशीनिंग जैसी क्रियाओं को करने के लिए उसे नरम करना अत्यंत आवश्यक होता है। इसमें मैं आपको बता दूं कि उसमें उपचार के लिए एनीलिंग  विधि का प्रयोग किया जाता है। इसमें आपको बता दें कि धातु की एनीलिंग कराने के बहुत से  उद्देश हैं।

एनीलिंग के उद्देश्य

एनीलिंग एक का गर्मी उपचार है जो सामग्री के भौतिक  गर्मी उपचार है और कभी-कभी भौतिक और रासायनिक गुणों को अपनी लचीलापन बढ़ाने और  इसमें धातु को मशीनिंग क्रिया के योग्य बनाया जाता है।  जिससे इसे काम करने योग्य बना दिया जाता है। इसमें एक उपयुक्त तापमान बनाए रखने के लिए इस की पुनर्रचना तापमान से ऊपर एक सामग्री को गर्म करना शामिल है। इस प्रक्रिया को आमतौर पर थोड़ी देर के लिए चमकने तक सामग्री को गर्म करने के लिए किया जाता है। यह एक हीटिंग ट्रीटमेंट का ही प्रकार होता है धातु की कठोरता को कम किया जा सकता है।

धातु पर एनीलिंग कैसे करें?

इसमें धातु को मशीनिंग क्रिया के योग्य बनाया जाता है इसमें धातु की भीतरी संरचना के विकृति को समाप्त किया जाता है हम जिस जॉब की एनीलिंग करना चाहते हैं उसे 700 डिग्री सेल्सियस से कुछ अधिक तापमान पर धीरे-धीरे एक समान को उचित तापमान पर गर्म कर देते हैं एवं बाद में जॉब को धीरे से ठंडा किया जाता है दोस्तों जब हम जॉब को ठंडा कर लेते हैं तो उसकी कठोरता समाप्त हो जाती है जिससे कि मशीनिंग करने में हमें नरम महसूस होती है। इसमें हम स्टील को 30 डिग्री सेल्सियस या 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म करते हैं। एनीलिंग चार प्रकार की होती है। फुल एनीलिंग। यह सभी प्रकार की स्टील में पाई जाती है। स्ट्रेस एनीलिंग। प्रोसेस एनीलिंग को 50 से 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है। स्फेरोइडाइस एनीलिंग।

अनीलिंग से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु

अनीलिंग में धातु को मुलायम बनाया जाता है, जो एक क्रिया के द्वारा होता है।

धातुओं मेंबीआए आंतरिक बलों को हटाने के लिए जिस क्रिया का उपयोग किया जाता है,उसे ही अनीलिंग कहते हैं।

प्रयोग करने के आधार पर अनीलिंग  दो प्रकार का होता है।
प्रोसेस अनीलिंग, फुल अनीलिंग

प्रोसेस अनीलिंग में पहले धातु को गर्म किया जाता है, उसके बाद उसे कमरे के ताप पर ठंडा किया जाता है।

फुल अनीलिंग की क्रिया  में भी पहले तो धातु को गर्म ही  किया जाता हैं, परंतु ठंडा इसे भट्टी में किया जाता है।

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