हार्डनिंग (Hardening) क्या है? सिद्धांत एवं विधि

हार्डनिंग Hardening

हाई स्पीड स्टील की अधिकतम उपयोगिता बढ़ाने के लिए उसे 1150°C-1350°C तक गर्म किया जाता है। इससे अधिकांश अलॉयिंग एलीमेन्ट्स (alloying elements) तथा कार्बन, ऑस्टेनाइट में घुल (dissolve) जाते हैं। इस तापमान पर ऑक्सीकरण (oxidation) बहुत तेजी से होता है, इसलिए पहले स्टील को लगभग 850°C तक गर्म करते हैं। इसके पश्चात् तेजी से हार्डनिंग तापमान (1150°C-1350°C) तक गर्म करते हैं। स्टील को इस तापमान पर कुछ समय होल्ड (hold) किया जाता है, जिससे सम्पूर्ण धातु का तापमान एक समान हो जाए। अब स्टील को ऑयल के अन्दर 425°C तक ठण्डा किया जाता है तथा इस तापमान पर होल्ड किया जाता है, जिससे समस्त स्टील का तापमान 425°C हो जाए। अब इसको स्थिर हवा में रूम टैम्परेचर (room temperature) पर ठण्डा होने के लिए छोड़ दिया जाता है। इससे स्टील के अन्दर थर्मल स्ट्रैसेस (thermal stresses) पैदा नहीं होते।

हार्डनिंग के उददेश्य


हार्डनिंग करने के निम्न उद्देश्य हैं
स्टील को न घिसने योग्य बनाना।
स्टील को काटने योग्य अर्थात् कठोर बनाना।
स्टील की सामर्थ्य बढ़ाना।

सिद्धान्त Principle


जब स्टील को क्रान्तिक ताप से उच्च तापमान पर गर्म करके तीव्रता से ठण्डा किया जाता है, तो ठोस घोल में उपस्थित अतिरिक्त कार्बन को बाहर निकलने का स्थान नहीं मिल पाता। इस अतिरिक्त कार्बन के कण लोहे के कणों के बीच फँस जाते हैं तथा विरूपण उत्पन्न करते हैं। इससे स्टील की कठोरता में वृद्धि हो जाती है तथा साथ ही सामर्थ्य व तन्यता घट जाती है। यही कठोरता का सिद्धान्त है।

हार्डनिंग की विधि Process of Hardening

  • हार्डनिंग प्रक्रिया के द्वारा हम ऐसे स्टील को कठोर बना सकते हैं, जिनमें अन्य अलॉयिंग एलीमेन्ट्स के अतिरिक्त कम-से-कम 0.3% कार्बन हो। 0.15% से कम कार्बन वाली स्टील को कठोर नहीं बनाया जा सकता। अधिकतम कठोरता 0.35% से 0.83% कार्बन के स्टील में लाई जा सकती है, जबकि 0.83% से ऊपर कार्बन वाली स्टील स्थिर हार्डनिंग तापमान वाली होती है।

हार्डनिंग की विधि में कार्बन स्टील को क्रान्तिक ताप से कुछ अधिक ताप (750°C-850°C) पर गर्म किया जाता है। कुछ समय तक स्टील को इसी ताप पर रखने के पश्चात् इसे पानी, तेल या वायु में एक नियत दर पर ठण्डा किया जाता है। इस प्रकार स्टील कठोर व भंगुर बन जाती है। स्टील की कठोरता, उसमें उपस्थित कार्बन की मात्रा एवं ठण्डा करने की दर पर निर्भर करती है। हार्डनिंग के पश्चात् टैम्परिंग प्रक्रिया करके जॉब को कठोरता (toughness) प्रदान की जाती है।

Quenching /Hardening अथवा कठोरीकरण –

दोस्तों इस प्रकार की प्रक्रिया में पदार्थ को अधिक तापमान पर गर्म करने के बाद अचानक से ठंडा किया जाता है | धातुओं की कठोरता बढ़ाने के लिए सडन कूलिंग को किया जाता है यदि धातुओं को हवा में छोड़ देंगे तो धातु को कठोर नहीं किया जा सकता इसीलिए हम अलग-अलग प्रक्रिया को करते हैं |

इस प्रक्रिया में धातु को ठंडा करने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाते हैं –

1.पदार्थ को अथवा धातु को पानी में डुबा सकते हैं |

  1. तेल में डुबा सकते हैं |
  2. ब्राइन के द्वारा भी ठंडा कर सकते हैं अथवा लवण के द्वारा | हार्डर्निंग का उदाहरण –

दोस्तो सडन कूलिंग से पदार्थ को कठोर बनाया जाता है |

दोस्तों यदि 50 डिग्री सेंटीग्रेड से कहीं बाहर से अथवा धूप से चलकर अचानक कोई व्यक्ति यदि AC रूम में डायरेक्ट चला जाए तो वह सडन कूलिंग ही होता है | ऐसा नहीं करना चाहिए AC रूम में जाने से पहले रिलैक्स होना चाहिए बाद में आप AC रूम में एंटर कर सकते हैं यदि आप रिलैक्स नहीं होंगे तो आपके शरीर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा और आप बीमार भी हो सकते हैं |

यदि गर्म पानी से नहाते समय किसी व्यक्ति के ऊपर अगर ठंडा पानी डाल दिया जाए तो उसकी मांसपेशियां अचानक से अकड़ जाएंगी अथवा कठोर हो जाएंगी |

हार्डनिंग में लिक्विड नाइट्रोजन सबसे ज्यादा जल्दी पदार्थ को ठंडा करता है | इसके बाद लवण ,लवण के बाद पानी और पानी के बाद तेल के द्वारा पदार्थ को ठंडा किया जाता है |

हार्डनिंग कैसे की जाती है?

नमस्ते दोस्तों हम आपको बताने जा रहे हैं कि हार्डनिंग क्या होता है हार्डनिंग  दो प्रकार की होती है। पहली केस हार्डनिंग और दूसरी फ्लेम हार्डनिंग। इस हार्डनिंग को ही हम किसी चीज का सरफेस भी बोलते हैं। मान लीजिए कोई आपके पास एक बेलनाकार रोड है इसका ऊपर का सरफेस खुला है इसके ऊपर के सरफेस को हार्डनिंग बोलते जिसे मान लो माइल्ड स्टील या कार्बन स्टील है उनके अंदर कार्बन की मात्रा काफी कम होती है तो उन्हें हार्ड वर्क करना काफी कठिन होता है। काफी मुश्किल रहता है तो अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि इसके ऊपर वाली सतह जो है जो अगर हम उसके अंदर कार्बन की मात्रा को बढ़ा दे तो इसकी सतह हार्ड हो जाएगी लेकिन जो बीच वाली कोर है उसको हम कौर बोलते हैं जो बिल्कुल बीच में होता है।

हार्डनिंग को करने का प्रोसेस

हार्डनिंग जो है क्या होती है कि सरफेस को हार्ड कर देना कुछ गहराई तक ही हार्डनिंग कहलाती है। और जो कोर होगी अंदर वाला पार्ट  या  मिडिल वाला वह नरम ही रहेगा तो इसे केस हार्डनिंग कहते हैं। फ्लेम हार्डनिंग में हम एक फ्लेम का यूज करते हैं जो मीडियम कार्बन स्टील होता है। उसके लिए यूज करते हैं जो है ऑक्सी एसिटिलीन के हो सकती है अर्थात ऑक्सीजन और एसिटिलीन का मिश्रण हो सकता है या प्राकृतिक गैस के माध्यम से इसे हम बना सकते हैं। हमें ऐसी फ्लेम चाहिए जो ज्यादा से ज्यादा टेंपरेचर यानी कि तापमान को उत्पन्न कर सके। हम चाहे तो प्राकृतिक या ऑक्सी एसिटिलीन फ्लेम का उपयोग भी ले सकते हैं या कर सकते हैं इसके बाद उसका उपयोग करके केस को हार्ड किया जाता है और कुछ डीप मीडियम सर्फेस भी हार्ड हो जाता है और जो कोर है वह नरम ही रहती है लेकिन केस हार्ड हो जाता है। इसके अंदर हम एक बर्नर का उपयोग करते हैं जो की फ्लेम देता है और इस फ्लेम के कारण ही हीट उत्पन्न होती है जहां पर हमें हीट देना है। इसमें वाटर स्प्रे का भी यूज़ किया जाता है।

हार्डनिंग क्या है

1. हार्डनिंग से तात्पर्य स्टील को अन्य धातुओं के काटने योग्य बनाना।

2. हार्डनिंग को हम आसान शब्दों में हम कह सकते हैं कि उसे हार्ड बनाना या कठोर बनाना।

3. हार्डनिंग को उपयोग में लाने के लिए धातु को पहले बहुत  अधिक गर्म किया जाता है।

4. हार्डनिंग की क्रिया करने के लिए धातु को पानी के जैसे बनाया जाता है।

5. गर्म करने के बाद उसे कई क्रियाओं के द्वारा ठंडा किया जाता है। जैसे जल, लवण, कास्टिक सोडा ईटीसी।

6. ठंडा करने के बाद उसे उसके आकार में बनाया जाता है, इसे ही हार्डनिंग कहते हैं।

7. हार्टनिंग का उद्देश्य स्टील को कठोर करके घिसावट रोधी  बनाना।

8. हार्डनिंग करने से धातु की कार्य क्षमता और दक्षता में अधिक वृद्धि होती है।

9. हार्डनिंग से धातु के जीवन काल में कई वर्षों की वृद्धि हो जाती है, हार्डनिंग एक तरह की क्रिया है।

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